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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2783
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कीजिए।

उत्तर -

जब किसी संस्था या व्यक्ति द्वारा मूल्यांकन किया जाता है तब मूल्यांकन किए गए कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं से अवगत होना प्रासंगिक है। मूल्यांकन के कुछ पहलुओं पर आगे (नीचे) चर्चा की गई है-

(1) दक्षता मूल्यांकन - इसे निर्गतों (उत्पादता) की मात्रा और निवेशित संसाधनों .(पूँजी और कार्मिक) के संबंध में उनकी गुणवत्ता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इस तरह, यह इस तथ्य का मूल्यांकन है कि कितने उत्पादनकारी रूप से संसाधनों (आगतों को परिवर्तित के रूप में) का प्रयोग किया गया है।

दक्षता का मूल्यांकन करने में प्रमुख समस्या है उन विभिन्न आगतों की मात्रा निर्धारित करना जिन्हें मूल्यांकन निर्गतों के उत्पादन के लिए यथोचित मानता है जो परियोजना प्रस्ताव में लिखित रूप में हो सकते हैं। ऐसे निर्णय लेने के लिए योजना दस्तावेजों में विशिष्ट मानदंडों का उल्लेख अक्सर नहीं किया जाता है। अतः मूल्यांकनकर्ता को विभिन्न प्रकार की आगतों की मात्रा और निर्गतों की मात्रा और गुणवत्ता के बीच संबंधों के बारे में स्वयं निर्णय लेने पड़ सकते हैं। परियोजना प्रबंधन के समक्ष दक्षता के मापने के जटिल कार्यों में यह भी एक जटिल कार्य है जिससे परियोजना की दाता एजेंसियाँ कभी-कभी तो आश्वस्त हो सकती है या कभी आश्वस्त नहीं भी हो सकती।

(2) प्रभाविता मूल्यांकन - यह योजनाबद्ध निर्गतों; अपेक्षित प्रभावों (तात्कालिक उद्देश्यों) और अभिप्रेत प्रभावों (विशाल उद्देश्यों) के किस हद तक तैयार या प्राप्त किया जा रहा है या किया जा चुका है, इस तथ्य को व्यक्त करता है। व्यवहारिक रूप में, प्रभावित विश्लेषण में निम्नलिखित दो कारणों से मुख्यतः परिणाम के प्रभावों पर समुचित फोकस है-

(i) प्रभाव स्तर पहला स्तर है जिस पर अभीष्ट लाभार्थियों के लिए लाभों को व्यक्त किया जाता है, प्रभाव डालना निर्गतों की तुलना में उपलब्धियों की ज्यादा महत्वपूर्ण माप है; और

(ii) प्रभाव बाहरी कारकों के हस्तक्षेप से सामान्यतः कम प्रभावित होंगे और इसीलिए आमतौर पर इनका आंकलन शीघ्रता से और ज्यादा विश्वसनीय रूप से किया जा सकता है।

यदि कार्यक्रम या परियोजना दस्तावेज में तात्कालिक उद्देश्यों (अभीष्ट प्रभावों) का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया जाता है तो मूल्यांकनकर्ता को अपने सर्वोत्तम निर्णय के अनुसार ऐसें अतिरिक्त विशेष विवरणों को स्वयं करना पड़ सकता है जिसे वह प्रभावित विश्लेषण के लिए अनिवार्य मानता है।

(3) प्रभाव मूल्यांकन – प्रभाव से अभिप्राय है दीर्घकालिक प्रभाव - नकारात्मक और सकारात्मक, अभिप्रेत और अनभिप्रेत। ये मूल्यांकन दीर्घकालिक होते हैं और अधिकांशतः अभिप्रेत लाभार्थियों और किसी भी आय व्यक्ति के लिए कार्यक्रम या परियोजना के अप्रत्यक्ष परिणाम होते हैं। अपेक्षा की जाती है कि मुख्य प्रभाव सकारात्मक ही हों तथापि लाभार्थी समूहों या अन्य पर इसके नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं। इनका विश्लेषण किया जाना चाहिए। कभी-कभी कुछ लोगों पर नकारात्मक प्रभाव संदेहयुक्त (अविश्वसनीय) हो सकते हैं, यहाँ तक कि योजना - अवस्था में अपेक्षित हो सकते हैं। हो सकता है तब इनका उल्लेख कर दिया जाए, और योजना दस्तावेजों में भी निराकरणीय उपायों के साथ या उनके बिना इन्हें विनिर्दिष्ट भी किया जाए। दूसरे मामलों में या पूर्वतः अप्रत्याशित या अनपेक्षित हो सकते हैं। ऐसे में मूल्यांकनकर्त्ता द्वारा इनका पता लगाना और भी कठिन हो सकता है। प्रभाव सामान्यतः जटिल संबंधों और प्रक्रिया के माध्यम से जनित होते हैं और इसीलिए, इनका विश्लेषण स्थूल- केन्द्रित (व्यापक) अन्वेषणों के माध्यम से किया जाना चाहिए। प्रभाव मूल्यांकन में परिमाणात्मक या गुणात्मक विधियों या दोनों ही विधियों का प्रयोग किया जा सकता है।

(4) दीर्घकालिक (स्थायी) प्रभावों का मूल्यांकन – इसका अभिप्राय है कार्यक्रम या परियोजना की समाप्ति के बाद, कार्यक्रम या परियोजना से प्रेरित (उत्पन्न) सकारात्मक परिवर्तनों का अनुरक्षण या आवर्धन। दीर्घकालिता में परियोजना अंतःक्षेप विन्यास के सभी स्तरों का वर्णन हो सकता है। क्रिया-निष्ठ अनुसंधान परियोजना में दीर्घकालिकता का लक्ष्य सभी स्तरों पर अंत: क्षेयात्मक गतिविधियों की निरंतरता हो सकती है। विशिष्ट शब्दों में दीर्घकालिकता का अभिप्राय हो सकता है-

(i) प्रस्तुत भौतिक सुविधाओं का अनुरक्षण (उदाहरण के लिए सड़क)

(ii) भौतिक सुविधाओं (उदाहरण के लिए सड़क) या अमूर्त गुणों (उदाहरण के लिए ज्ञान) का निरंतर प्रयोग।

(iii) निरंतर ऐसे (समान) विकास कार्य की योजना बनाने व उसका प्रबंधन करने की योग्यता (उस संगठन द्वारा जिस पर कार्यक्रम या परियोजना का प्रभाव हो या कोई अन्य संगठन);

(iv) सृजित निर्गतों के प्रकारों का निरंतर उत्पादन (परिणाम) (उदाहरण के लिए अध्यापक प्रशिक्षण कॉलेज से अध्यापकों का);

(v) सृजित प्रभावों का अनुरक्षण (उदाहरण के लिए नई सफाई प्रचलनों (पद्धतियों) के कारण स्वास्थ्य में निरंतर सुधार) या दिए गए प्रशिक्षण के कारण श्रम बाजारों में निरंतर ज्यादा प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करना); और

(vi) प्रभावों को आगे और बढ़ाना (कार्यक्रम या परियोजना द्वारा सृजित सुविधाओं या गुणों से प्रेरणा द्वारा उसी प्रकार या अन्य प्रकार के)

(5) मात्रात्मक और गुणात्मक पहलू का मूल्यांकन - सामाजिक विज्ञान में, दो प्रमुख उपागमों; मात्रात्मक और गुणात्मक, के बीच व्यापक रूप से भेद करना मामूली बात हो गई है। इन दोनों के बीच सबसे स्पष्ट अन्तर है कि मात्रात्मक विधियों से संख्यात्मक आँकड़े प्राप्त होते हैं और गुणात्मक विधियों से प्राप्त सूचना को शब्दों में व्यक्त किया जाता है। सरल शब्दों में, मात्रात्मक मूल्यांकन वैज्ञानिक साधनों और मापों का प्रयोग करके किए जाते हैं। परिणाम को मापा और गिना जा सकता है। इसकी तुलना में गुणात्मक मूल्यांकन ज्यादा विषयनिष्ठ होते हैं और उन्हें सटीक माप में प्रस्तुत करना अपेक्षाकृत कठिन हो जाता है।

(6) परिणाम - उन्मुखी पहलुओं का मूल्यांकन- परियोजना संचालन और मूल्यांकन में पाँच प्रमुख आगत- गतिविधियाँ - निर्गत प्रभाव (परिणाम) - प्रभाव अनुकूल और परियोजना की प्रगति को विभिन्न चरणों में उनकी निगरानी की जरूरत है। इस उपागम में परिवर्तन हुआ है, हाल ही में नए उपागम सामने आये हैं जो परिणाम - उन्मुखी / परिणाम-आधारित मूल्यांकन कहलाती है, जो प्रभाव उपागम में प्रयुक्त निर्गतों की गतिविधियों में सुधार करती है। यहाँ · मुख्य केन्द्र बिन्दु यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी विकास गतिविधि में 'निवेशित ' संसाधन यथार्थ रूप से यथासंभव अपने अभिप्रेत परिणामों को उत्पन्न करते हैं। यदि मापे हुए परिणाम प्रक्षेपित (Projected) परिमाणीकृत (quantified) सूचकों को प्राप्त कर लेते हैं तो अब परियोजना को केवल सफल माना जाएगा। इस उपागम में प्रत्येक अवस्था पर 'परिणामों और लाभों पर बल दिया जाता है। विकास संसाधनों को सामाजिक लाभों को प्राप्त करने के साधनों व उद्देश्य, प्रभाव उपायों और प्रक्रिया में सम्मिलित खतरों के साथ संबद्ध करना, इस उपागम की अवधारणा है। इसमें परियोजना चक्र के सभी घटकों को सुदृढ़ करने के लिए एकीकृत क्रियाविधि पैकेज सम्मिलित है। इसमें प्रयुक्त होने वाले महत्वपूर्ण साधन हैं तार्किक विन्यास, समस्या - विशेष GTZ उद्देश्य उन्मुखी विन्यास इत्यादि।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
  2. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  4. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
  5. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
  7. प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
  8. प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
  9. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
  10. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
  11. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
  12. प्रश्न- सामुदायिक संगठन से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक संगठन को परिभाषित करते हुए इसकी विभिन्न परिभाषाओं का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की सैद्धान्तिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिये।
  16. प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
  18. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के दर्शन पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  19. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- सामुदायिक विकास प्रक्रिया के अन्तर्गत सामुदायिक विकास संगठन कितनी अवस्थाओं से गुजरता है?
  21. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  22. प्रश्न- सामुदायिक संगठन और सामुदायिक विकास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन और सामुदायिक क्रिया में अंतर बताइये।
  24. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के प्रशासनिक ढांचे का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सामुदायिक विकास में सामुदायिक विकास संगठन की सार्थकता एवं भूमिका का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
  27. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
  28. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइयें।
  29. प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
  30. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के क्षेत्र, आवश्यकता एवं परिकल्पना के विषय में विस्तार से लिखिए।
  31. प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
  32. प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना के बारे में बताइए।
  33. प्रश्न- राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) पर एक टिप्पणी लिखिये।
  34. प्रश्न- राष्ट्रीय सेवा योजना (N.S.S.) पर टिप्पणी लिखिये।
  35. प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र संगठन का परिचय देते हुए इसके विभिन्न कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  37. प्रश्न- कपार्ट एवं गैर-सरकारी संगठन की विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण घटक की भूमिका निभाते हैं? विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  38. प्रश्न- बाल कल्याण से सम्बन्ध रखने वाली प्रमुख संस्थाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- हेल्प एज इण्डिया के विषय में आप क्या जानते हैं? यह बुजुर्गों के लिए किस प्रकार महत्वपूर्ण है? प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों व महत्व पर प्रकाश डालिये।
  41. प्रश्न- बाल विकास एवं आप (CRY) से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों एवं मूल सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- CRY को मिली मान्यता एवं पुरस्कारों के विषय में बताइए।
  43. प्रश्न- बाल अधिकार का अर्थ क्या है?
  44. प्रश्न- बच्चों के लिए सबसे अच्छा एनजीओ कौन-सा है?
  45. प्रश्न- राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस कब मनाया जाता है?
  46. प्रश्न- नेतृत्व से आप क्या समझते है? नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं का विश्लेषण कीजिये।
  47. प्रश्न- नेतृत्व के विभिन्न प्रारूपों (प्रकारों) की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  48. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण की प्रमुख प्रविधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- कार्यस्थल पर नेताओं की पहचान करने की विधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- ग्रामीण क्षेत्रों में कितने प्रकार के नेतृत्व पाए जाते हैं?
  52. प्रश्न- परम्परागत ग्रामीण नेतृत्व की विशेषताएँ बताइये।
  53. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण को किन बाधाओं का सामना करना पड़ता है?
  54. प्रश्न- नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं को बताइए।
  55. प्रश्न- नेतृत्व का क्या महत्व है? साथ ही नेतृत्व के स्तर को बताइए।
  56. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षक से आप क्या समझते हैं? एक नेतृत्व प्रशिक्षक में कौन-से गुण होने चाहिए? संक्षेप में बताइए।
  57. प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
  58. प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
  59. प्रश्न- विकास कार्यक्रम का अर्थ स्पष्ट करते हुए विकास कार्यक्रम के मूल्यांकन में विभिन्न भागीदारों के महत्व का वर्णन कीजिए।
  60. प्रश्न- विकास कार्यक्रम चक्र को विस्तृत रूप से समझाइये | इसके मूल्यांकन पर भी प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- विकास कार्यक्रम तथा उसके मूल्यांकन के महत्व का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के प्रमुख घटक क्या हैं?
  63. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
  64. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन की प्रक्रिया का उदाहरण सहित विस्तृत वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- अनुवीक्षण / निगरानी की विकास कार्यक्रमों में क्या भूमिका है? टिप्पणी कीजिए।
  66. प्रश्न- निगरानी में बुनियादी अवधारणाएँ और तत्वों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- निगरानी के साधन और तकनीकों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  68. प्रश्न- मूल्यांकन डिजाइन (मूल्यांकन कैसे करें) को समझाइये |
  69. प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- मूल्यांकन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- निगरानी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- निगरानी के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- निगरानी में कितने प्रकार के सूचकों का प्रयोग किया जाता है?
  74. प्रश्न- मूल्यांकन का अर्थ और विशेषताएँ बताइये।
  75. प्रश्न- निगरानी और मूल्यांकन के बीच अंतर लिखिए।
  76. प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न प्रकारों को समझाइये।

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